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यदि सहज आनंद को ठुकराया, तो विकल्प बनेंगे मनोरंजन और माया || आचार्य प्रशांत, संत कबीर पर (2014)

2019-11-24 1 Dailymotion

वीडियो जानकारी:<br /><br />शब्दयोग सत्संग<br />४ जून २०१४,<br />अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा<br /><br />दोहा:<br />बोली ठोली मसखरी, हँसी खेल हराम |<br />मद माया और इस्तरी, नाहिं सन्त के काम || ( संत कबीर)<br /><br />प्रसंग:<br />सहज आनंद माने क्या?<br />क्या है माया का खेल?<br />कबीर सहज आनंद पर क्यूँ इतना ज़ोर दे रहे हैं?

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